शुक्रवार, 10 नवंबर 2023

छोटी दीवाली 2023 पर ड्रीम द्वारका मिशन प्रगति रिपोर्ट



 तो 

कहना बस इतना है 

कि 

सपने मरे नहीं हैं 

बीज अभी भी सुप्तावस्था से निकलकर अंकुरित होकर पौधा बन पल्लवित पुष्पित नहीं बना है। बीज जिन्दा है।

इस बीच क्या हुआ है वह आज छोटी दीपावली पर रखना उचित लग रहा है। मैं अक्सर शुभ दिन और मुहुर्त की प्रतीक्षा करता हूँ। यह जीवन प्रतीक्षा में ही निकल नहीं जाए यह चिन्ता भी लगी रहती है पर ड्रीम द्वारका के लिए जो कुछ हो सका है वह रखना अच्छा लग रहा है।

लगभग छह वर्ष पहले (2016-2017) मैंने आँवले के कुछ बीज अपनी छोटी सी बालकनी में प्लास्टिक के छोटे से कप में उगाने के लिए रखे थे। कुछ अंकुरित हुए। इनमें से दो उचित जगह पर लगाए गये। एक हमारी शक्ति स्वरूपा जीवन संगिनी अंशु जी ने अपने कार्यस्थल दक्षिण पश्चिम दिल्ली के ककरौला गाँव स्थित प्राथमिक विद्यालय परिसर में लगाए और एक पौधा उनकी ही सहयोगिनी महिला कर्मी अपने घर के निकट के मन्दिर के लिए माँग ले गयी थी। इन दोनो पौधों ने इस वर्ष फल देना शुरु कर दिया है।

ध्यातव्य हो कि वर्ष 2015 में अक्षय नवमी तिथि के आसपास  भारत वर्ष की सांस्कृतिक, शैक्षिक और धार्मिक राजधानी काशी नगरी में हमने ड्रीम द्वारका परियोजना का सपना संजोया था । महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी द्वारा स्थापित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के इंजीनयरिंग संस्थान के अतिथि आवास में भोलेनाथ की नगरी माँ काशी के आँचल तले ड्रीम द्वारका मिशन का सपना देखा गया था।  और वापस दिल्ली लौटकर औपचारिक रूप से इसकी घोषणा इस मंच पर कर दी गई थी।

और आज दो ही सही आंवला के पौधे फल देना आरम्भ कर हमारे सपने को जिन्दा रखे हुए हैं।      


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