सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

अटल इरादा : सधे कदम और धीमी चाल से दूर तक जाने का हौसला, अपने समय की चुनौतियों का हल पाने का भरोसा

चाल धीमी तो है मगर कदम सधे हुए हैं। संसाधन न्यूनतम हैं पर हौसले बुलंद है। आने वाला समय परिवर्तन का साक्षी होगा इसमें कोई संदेह नहीं है।

पिछले पोस्ट में तय किया था कि एक सप्ताह के भीतर ड्रीम द्वारका का तन तय कर लूंगा और क्या स्वरूप अंततः होगा इसे तय कर ही आगे बढूंगा। नीयत समय पर ऐसा हो गया। इसलिए पूरा संतोष है।

ड्रीम द्वारका एक ब्लॉग के रूप में अपना अस्तित्व बनाए रखेगा जहां इसके विचार मुक्त रूप में रखे जाएंगे। 


तन के रूप में पिछले सप्ताह इसे अपना दूसरा घऱ www.talkingviews.com पर मिल गया है। यह घर फिलहाल किले के रूप में नहीं बल्कि आश्रय स्थल के रूप में कार्यरत होगा । कालक्रम में यह मजबूत किला बनेगा।  दूर दूर से चल कर यहां तक इसके निवासी पहुंचेंगे। इसके आश्रय में लोगों को एक नया जीवन मिलेगा।


नया जीवन जो तन को पूर्ण स्वस्थ, मन को प्रतिपल प्रसन्न और जीवन को आनंदमय रखेगा।

टॉकिंगव्यूज के स्वत्वाधिकारी ऐसे व्यक्ति मिले हैं जिन पर विश्वास किया जा सकता है। दरअसल व्यक्ति का चरित्र एक दो दिनों में नहीं बनता और ना ही मौसम की तरह रंग बदलता है। ये ऐसे चरित्रवान हैं जिन्हें साथ लेकर दूर तक , देर तक चला जा सकता है।

उनका चरित्र स्थिर है, ऐसा अभी दिख रहा है। ईश्वर उन्हें और उनके चरित्र को स्थिर बनाए रखे यह कामना है।

स्थिर प्रवृत्ति के लोग ही प्रारब्ध को चुनौती दे पाते हैं । विवश होकर सिरजनहार को उन्हें अवसर देना पड़ता है। 

हम किस प्रारब्ध को लेकर आए हैं यह नहीं जानते पर अपना जीवन लक्ष्य जान सकें और इस पर स्थिर रह सकें तो जीवनकाल में युगसत्य बन जाते हैं। मैं युगसत्य नहीं बनना चाहता लेकिन अपने लक्ष्य को जानता हूं। जिस सोच पर बचपन से चला हूं , अब तक टिका हूं और शेष बचे समय में भी टिका रहूंगा।

मैं यह मानता हूं कि मुझे अपने जीवन का लक्ष्य पता है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेरे पास जो संसाधन उपलब्ध हैं उनसे अपने लक्ष्यों को अवश्य प्राप्त करूंगा।

इस तन की रक्षा के लिए आवश्यक सामग्रियां जुटाना उसका काम है जिसने मुझे इन विचारों के साथ धरती पर भेजा है । इस तन के साथ जुड़े अन्य परिजनों, पुरजनों का साथ बनाए रखना भी उसीकी जिम्मेदारी है। इस लक्ष्य के लिए संसाधनों का इंतजाम भी उसी को करना है। मुझे तो बस परिणाम की अपेक्षा किए उन रास्तों पर लगातार चलते रहना जिनसे लक्ष्य की पूर्ति होगी।

मैं उसके दिखाए लक्ष्य की ओऱ ही बढ़ रहा हूं।

ड्रीम द्वारका का जन्म अक्षय नवमी तिथि को वर्ष 2015 में होना इसीका अंग है। अब इसका अगला चरण अपने नवजात तन के रूप में www.talkingviews.com पर 12 फरवरी 2016 को श्री पंचमी यानि सरस्वती पूजा के अवसर पर प्रकट होगा। 

मां भगवती इसे पूर्णता देंगी।  

अब इस पोस्ट और इन विचारों को पूर्णता देता हूं।

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