रविवार, 29 अक्तूबर 2017

ड्रीम द्वारका 29 अक्टूबर 2017 कार्तिक शुक्ल नवमी अक्षय नवमी संदेश


सावन पूर्णिमा 2017 को प्रकाशित  पिछले पोस्ट के बाद आज पुनः हाजिर हैं हम
अपने संकल्प के साथ

संकल्प वही पुराना

ड्रीम द्वारका परियोजना आज कहां है
किस अवस्था में है
कितनी हुई प्रगति

तिथि के अनुसार आज ही के दिन 20 नवंबर को  वर्ष 2015 में हमने अपनी शुरुआत की थी। 
इस तरह आज हमारे लिये तीसरा जन्म दिवस है।  
तीन वर्षों में कहां पहुंचे हम  
कहां पहुंचा हमारा ब्लाग 
वास्तविक ज़मीन पर कितनी हुई प्रगति

आज की ही तिथि यानि अक्षय नवमी के दिन 09 नवंबर  2016 से पांच सौ और एक हजार के नोट चलने बंद हो गये थे । इससे ठीक एक दिन पहले  अक्षयनवमी की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री ने  भारतवर्ष में नोटबंदी का ऐलान किया था और एक सौ से बड़े नोट रद्द करने की जानकारी  दी  थी।

विगत अक्षय नवमी से इस अक्षय नवमी तक व्यापक परिवर्तन देश की अर्थव्यवस्था में आया है। नोटबंदी के समय कालेधन पर निर्णायक प्रहार की कामना की गयी थी। पर यह प्रहार कितना कारगर हुआ हम नहीं जानते।

सकल घरेलू उत्पाद र्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ी है। लोगों की नौकिरयां छिनी हैं। बेरोजगारों की संख्या बढ़ी है। असंगठित क्षेत्र में लोग बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए हैं ।

पर
घरेलू शेयर बाजार अपने सर्वोच्च स्तर पर 33 हजार के आंकड़े के ऊपर है। 
अमीर और अधिक अमीर हुए हैं 
गरीब और अधिक गरीब हुए हैं 
इस अवधि में ।

पर ड्रीम द्वारका अभियान कहां है ?

यह अभियान सुप्त नहीं है । धीमी गति से ही चल रहा है। परियोजना ना तो स्थगित हुई है ना आगे बढ़ी है ।
पर ठिठकी अटकी नहीं है।

काल के पहिये पर  गति कभी बेहद धीमी दिखाई देती है कभी बेहद तेज चलती दिखाई देती है।

लेकिन वस्तुतः ना तो धीमे चलना और ना ही तेज चलना प्रगति का सूचक होता है।

प्रगति तब होती है जब कोई वास्तविक परिवर्तन काल के भाल पर अपने निशान छोड़ जाये।

फिलहाल ड्रीम द्वारका परियोजना इसी निशान को खचित करने पर संघर्षरत है।

पहली निशानी

व्रत और उत्सव
या
व्रत से उत्सव की ओर

From Fast to Festival

truth or myth

के हिन्दी पुस्तक रूप का पहला ड्राफ्ट अबसे कुछ दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा 03 नवंबर को प्रकाशित करने यानि स्वांतः सुखाय पहला प्रिंट निकालने के लिये तैयारी चल रही है।

आज की तिथि महत्वपूर्ण रही है मेरे लिये इसलिये यह अभिलेख काल की कसौटी पर दर्ज कर प्रकाशित कर दे रहा हूं ताकि असत्य नहीं साबित होऊं।

जो कहता हूं वह सत्य साबित होना समय पर छोड़ता हूं।

वैसे मेरे सत्य प्रयोगों की पुष्टि 
उपलब्ध तथ्यों से 
इसी ब्लाग पर की जा सकती है। जो चाहे वह यहीं आकर मेरे कथनों की पुष्टि कर ले सकता है।

पिछले वर्ष 2016 में  दीवाली पर हमने पटाखों पर पाबंदी का अनुरोध किया था। 
दीवाली से पहले  शारदीय नवरात्रि पर  हमने टीम एआइजी के साथ कई दिनों तक रावण पुतला दहन का विरोध किया था। मुस्कान मेल के अंक इसके गवाह हैं।
अनेक लोग सहमत हुए थे ।

पर उपलब्धि कितनी रही
महत्वपूर्ण यह नहीं है।

महत्वपूर्ण यह है कि

इस वर्ष देश के सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में दीवाली 19 अक्टूबर 2017 से पहले पटाखों की बिक्री पर पूर्ण पाबंदी लगा दी।
पटाखे चलाने पर कोई पाबंदी नहीं थी। पटाखे चलाना लोगों के विवेक पर छोड़ दिया गया। 
संध्याकाल आठ बजे तक धमाके नहीं सुनाई दिये । 

पर 
रात आठ बजे के बाद 
मध्य रात्रि के बाद तक 
पटाखे चले।
खूब पटाखे चले 
पर इनकी बिक्री पर पाबंदी का असर भी दिखा।

जितना जहरीला आसमान पिछले वर्ष था इस वर्ष नहीं दिखा।
पर आसमान में जहर आज तक घुला हुआ है । ओजोन की सतह प्रभावित हुई है। सांस लेने में घुटन का एहसास लोगों को हो रहा है ।

छठ तक यानि 27 अक्टूबर 2017 कार्तिक शुक्ल सप्तमी प्रातःकालीन अर्घ्य तक पटाखे खूब चलाये गये हैं।
 
जाहिर है लोग या तो दुष्परिणामों से अनजान हैं या जानबूझ कर नादान बने हुए हैं । अपने जीवन में दुख उठा रहे हैं जबकि दुख दूर करने के उपाय उनके पास हैं । हमारे पास हैं ।

समझदार लोग कम सही
हैं तो।

मैं समझता हूं
ड्रीम द्वारका के साथ भी यही है।

लोग हैं साथ
पर कम हैं ।

और मैं स्वयं

जब तक एक पुस्तक 
व्रत 
सत्य मिथ पाखंड
व्रत से उत्सव की ओर 

 From Fast to Festival 

Fast: Truth or  Myth 

का प्रथम व्यावसायिक ड्राफ्ट नहीं तैयार कर लेता तब तक 

ड्रीम द्वारका परियोजना धीमी या रुकी दिखेगी
एक बार पुस्तक का स्वरूप हाथ में आ जाये 
फिर गति तेज होती अनायास दिखेगी।

इसलिये

रुका नहीं हूं
मैं 
चल रहा लगातार

तप 
तत को पाने के लिये 
अनवरत
चल रहा है।

ड्रीम द्वारका परियोजना भी चल रही है।

नोटबंदी और कालेधन पर प्रहार के परिणाम
सकारात्मक कब दिखेंगे
प्रतीक्षा शेष है

प्रयास जारी है।

इति  शुभम