शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015

ड्रीम द्वारका कारोबारी आमंत्रण


                                                                 
ड्रीम द्वारका मिशन द्वारका सबसिटी ( दिल्ली ) में 14 जनवरी 2016 को शुरु
                 
ड्रीम द्वारका कारोबारी आमंत्रण

आज 25 दिसंबर 2015 है। 24 औऱ 25 दिसंबर 2015 की तिथि बेहद महत्वपूर्ण है।

ये वो तिथियां और 24 घंटों का संक्रमण काल है जब दुनिया की तीन प्रमुख विचारधाराओं इसाई, मुस्लिम और सनातन भारतीय हिन्दु का संगम हो रहा है। ऐसा संयोग सदियों नहीं हजारों सालों में एक बार आता है। जो ऐसे पल की अहमियत समझते हैं वे कुछ कर गुजरते हैं।


सल्लाहो अलैहो वसलल्म हज़रत मोहम्मद साहब का अवतरण दिवस, प्रभु के प्यारे, सबके राजदुलारे शांति दूत ईसा मसीह का पुनर्जन्म और मार्गशीर्ष यानि अग्रहायन पूर्णिमा की पावन तिथि एक साथ है ।

इसीलिए आज यानि 25 दिसंबर को ड्रीम द्वारका के कारोबारी सहयोगियों को आमंत्रण दिया जा रहा है।

ड्रीम द्वारका कारोबारी आमंत्रण

ड्रीम द्वारका मिशन में आपका स्वागत है।  इस मिशन से हम आप सभी को जोड़ना चाहते हैं। हमारे साथ जुड़कर आपका कारोबार चमक उठेगा। हम मिलकर एक दूसरे के उद्देश्यों को पूरा कर सकते हैं।

 आप शॉपकीपर हों या सर्विस प्रोवाइडर, छोटे व्यापारी या बड़े कारोबारी, प्रोफेशनल या कन्सलटेंट,  हम आपका प्रचार घर घर करनेवाले हैं। आपके पास खरीद बिक्री के लिए सामान है या फिर देने के लिए कोई सलाह सेवा,   जब आप सेल लगाते हैं तो सामान्य दिनों से अधिक छूट पर सामान या सेवा उपलब्ध कराने की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाते हैं।

हम आपसे हर महीने खास दिनों में एक उत्सव की तरह सेल का आइडिया दे रहे हैं। यह सेल फिक्सड इवेन्ट के रूप में उपलब्ध होगा।

हम भारतीय परंपराओं और उत्सवों के साथ तालमेल बनाकर सेल का आयोजन करने वाले हैं। हर महीने तय दिनों के लिए सेल होगा जिसमें खास लोगों को खास छूट दी जाएगी। ये खास लोग हमारे मिशन से जुड़े परिवार होंगे जिन्हें आप रियायती दर पर अपना सामान बेचेंगे। इस तरह एक ओर आपको सीधे कन्ज्यूमर मिलेंगे दूसरी ओर इन कन्ज्यूमर को सस्ता सामान मिलेगा।

उदाहरणस्वरूप 26 जनवरी 2016 को गणतंत्र दिवस है।

 हम आपसे देशभक्ति सप्ताह मनाने के लिए इनवाइट करते हैं। यह आपके लिए साप्ताहिक सेल के समान होगा जिसमें आप अपनी दुकान या सर्विस सेन्टर में हमारे द्वारा चुने गए लोगों को सेल का लाभ देंगे।

इन सात दिनों में हम द्वारका सबसिटी की अलग अलग सोसाइटी में देशभक्ति सप्ताह का आयोजन करेंगे। आप इन सोसाइटी में भी अपने प्रचार के साथ अपने सामान का सैंपल रख सकेंगे, सीधे कंज्यूमर से ऑर्डर भी ले सकेंगे। यदि आप सर्विस प्रोवाइडर हैं तो अपने ग्रुप की ओर से सर्विस प्रोवाइड करा सकेंगे।

अगले तीन महीनों में तीन साप्ताहिक इवेंट का कैलेंडर इस प्रकार है।

जनवरी 2016 में गणतंत्र और देश भक्ति सप्ताह

फरवरी 2016 में वसंत उत्सव और विद्या की देवी सरस्वती आराधना सप्ताह

मार्च 2016 में महाशिवरात्रि और होली सप्ताह

कहाँ शुरु हो रही है योजना

ड्रीम द्वारका का पहला चरण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सबसे विकसित और सुनियोजित शहरी क्षेत्र द्वारका सबसिटी में शुरु हो रहा है।

कब शुरु हो रही है योजना

यह अभियान 14 जनवरी 2016 से शुरु हो रहा है।

कौन शुरु कर रहा है

1.पारिजात संचेतना मंडल ट्रस्ट ( रजिस्टर्ड नॉन प्रॉफिट औरगेनाइजेशन)

2.ड्रीम प्रैस कन्सलटेंट लिमिटेड ( रजिस्टर्ड लिमिटेड कंपनी )

आप भी इस मिशन के सहयोगी बन सकते हैं।

पारिजात संचेतना मंडल ने समकालीन समय की समस्याओं के समाधान के लिए यह अभियान शुरु करने का फैसला किया है जबकि ड्रीम प्रैस ने इस मिशन के लिए एक डैडिकेटेड वेबसाइट और प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी ली है।  अब हमें आपके सहयोग की जरूरत है।

सहयोग के लिए हम आपसे क्या चाहते हैं

यह अभियान हमारे लिए समाज सेवा के साथ कारोबार को जोड़ने की शुरुआत है। आप कारोबारी होने के नाते जिस रूप में चाहें हमें सहयोग दे सकते हैं।

1. अपने ग्रुप का विज्ञापन हमारी वेबसाइट पर दें
2. योजना की प्रचार सामग्री , पोस्टर, बैनर, हैंडबिल के स्पान्सर बनें
3.योजना से जुड़ने के लिए अपने यहां हमारे साथ जुड़े लोगों के लिए छूट का विवरण उपलब्ध कराएं।

हम यह जानते हैं कि कारोबार का आधार एक दूसरे की उद्देश्य पूर्ति और एक दूसरे पर विश्वास है।
एक जगे हुए व्यक्ति के रूप में हम आप पर पूर्ण विश्वास करते हैं । अपनी ओर से यह वचन देते हैं कि हम आपका विश्वास और भरोसा अपने तन की अंतिम सांस तक नहीं टूटने देंगे।

हमें प्रचार सामग्री उपलब्ध कराएं

आरंभिक चरण में इस योजना के प्रचार प्रसार में धन नहीं बल्कि पोस्टर, बैनर, हैंड बिल उपलब्ध कराएं। पोस्टर- बैनर- हैंडबिल में योजना के बारे में पूरी जानकारी हम उपलब्ध कराएंगे इसमें अपनी दुकान का पता और सामान या सेवा की जानकारी देने के साथ इसके निर्माण की जिम्मेदारी आप लें।

द्वारका के 29 सेक्टर में लगभग डेढ़ हजार छोटी बड़ी रिहाइशी एन्क्लेव हैं। इनमें से लगभग पांच सौ रेजीडेन्ट वेलफेयर सोसाइटी के माध्यम से यह मिशन शुरु करने की योजना है।

1.हम हर सोसाइटी के मेन गेट पर दो टिन के बोर्ड लगवाना चाहते हैं जिसमें स्पेस कर्टसी के रूप में आपकी दुकान / सेवा / संस्थान  का प्रचार प्रसार होगा।
2. हम हर सोसाइटी के आफिस में एक फ्लैक्स / टिन का पोस्टर लगाना चाहते हैं जिसमें आपकी दुकान / सेवा का प्रचार प्रसार हो सकता है।
3. हम इनमें से चुनी हुई कुछ  सोसाइटी की हर ब्लॉक की लिफ्टों के सामने एक छोटा सा बोर्ड लगाना चाहते हैं ताकि योजना का प्रचार प्रसार अधिक से अधिक हो सके।
4. हम साप्ताहिक इवेंट की जानकारी ए 4 साइज़ के हैंडबिल के माध्यम से लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं। आप इसके भी स्पांसर हो सकते हैं।
5. इसके अलावा आरडब्लूए के सौजन्य से हर सोसाइटी का डेडीकेटेड एक वॉट्स एप ग्रुप कार्यरत रहेगा जहां आपके प्रोडक्ट्स या सर्विस का प्रचार प्रसार हो सकता है।

द्वारका, सहित जनकपुरी, तिलक नगर, रजौरी गार्डन , मोतीनगर आदि इलाके मेट्रो के अलावा रोड लिंक से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं। इस इलाके के लोगों और कारोबारियों को ड्रीम द्वारका मिशन का लाभ होगा।
ड्रीम द्वारका अभियान में क्या सेवाएं उपलब्ध होंगी

जीवन के लिए आवश्यक हर सेवा इसके दाएरे में सम्मिलित है और हमारे पास जिस क्षेत्र के विशेषज्ञ सहजता से उपलब्ध होंगे उस सेवा पर केन्द्रित इवेंट सोसाइटी परिसर में निःशुल्क आयोजित होगा और वहां रहने वाले लोग इस का लाभ उठाएंगे।

हम यह मानते हैं कि हमारी अधिकांश समस्याएं हम खुद पैदा करते हैं और ज्ञान के अभाव में इनसे जूझते रहते हैं जबकि जानकारी पाकर और इन्हें अपने जीवन में आजमा कर अपनी समस्या को ना केवल दूर कर सकते हैं बल्कि संपन्न, खुशहाल और संतुष्ट जीवन बिता सकते हैं।

पारिजात संचेतना मंडल ट्रस्ट की ओर से हम जगे हुए लोगों को एक दूसरे का साथ जोड़ रहे हैं ताकि हम सब मिल कर अपने आस पास का जीवन बेहतर बना सकें।

पारिजात संचेतना मंडल ट्रस्ट राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 2007-8 में रजिस्टर्ड गैर लाभकारी संस्था है । इसका गठन मनोज पाठक के नेतृत्व में पांच जगे हुए लोगों के माध्यम से हुआ । यह संस्था अपनी हर सेवा निःशुल्क उपलब्ध कराती है।  संस्था का टैगलाइन है " ज्ञान का प्रवाह मुक्त हो मुफ्त हो "  

ड्रीम प्रैस कंसलटैन्ट्स लिमिटेड भारतीय मीडिया जगत के दिग्गज पत्रकारों द्वारा 2008 में स्थापित समूह है। इस समूह के द्वारा अपने क्लाइंट्स को मीडिया प्रबंधन उपलब्ध कराने के अलावा अंग्रेजी में न्यूज पोर्टल www.facenfacts.com    और हिन्दी में न्यूज पोर्टल जनताजनार्दन डाटकाम  का संचालन हो रहा है।

14 जनवरी से ड्रीम द्वारका मिशन के लिए एक डेडीकेटेड वेबसाइट www.talkingviews/dreamdwarka.com शुरु किए जाने की योजना है।

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

ड्रीम द्वारका परियोजना Vision Document 1

जय सियाराम

पारिजात संचेतना मंडल ट्रस्ट की ओर से दिनांक 29 नवंबर वर्ष 2015 के प्रातःकाल सात बजे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में आई टी एलुमेनी अतिथि गृह के रूम नंबर 17 में Vision Document तैयार किया गया जिसका प्रथम प्रारूप इस प्रकार है। 

इसमें कई संशोधन आवश्यकतानुसार आने वाले दिनों में किए जाएंगे। नए संकल्प और प्रावधान जोड़े जाएंगे। 

महामना पंडित मदन मोहन मालवीयजी के चित्र और उनके पावन आशीर्वाद से पूरित अतिथि गृह में लिखित यह दृष्टि दस्तावेज अपने संकल्प के अनुसार साकार हो।

अक्षय नवमी, 22 नवंबर 2015 की तिथि को ड्रीम द्वारका परियोजना का संकल्प सबका घर एपार्टमेंट द्वारका नई दिल्ली में लिया गया था।

25 नवंबर 2015 को कार्तिक पूर्णिमा तिथि को इस संकल्प को दोहराते हुए इसे अग्रसारित किया गया था।

28 नवंबर 2015 को मार्गशीर्ष यानि माघ मास में कृष्ण पक्ष की तीसरी तिथि को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित श्री विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में इस संकल्प के अनुकूल तथ्यों को देखा और अनुभव किया गया। मंदिर की दीवारों पर गर्भगृह के बाहर, उत्तरी द्वार की दिशा में, मुख्य सभागार में चाणक्य नीति के अनुकूल चंद्रगुप्त को दी गई शिक्षा और सम्राट अशोक के धर्मोपदेश तथा उसके द्वारा संकल्पित कर्तव्य पालन के लिए स्तंभों पर अंकित घोषणापत्र का प्रतिरूप दीवालों पर अंकित देख कर ट्रस्ट की ओर से लिए गए संकल्प की पुष्टि हुई।

तदनुसार 29 नवंबर 2015 को श्री विश्वनाथ मंदिर परिसर में प्रातःकालीन आरती में सम्मिलित होकर ड्रीम द्वारका संकल्प को दृढ़ किया गया। 

                                            ड्रीम द्वारका Vision Document

द्वारका सब सिटी में पौध रोपण कार्यक्रम

कार्यक्रम का उद्देश्य :- द्वारका सबसिटी के लोगों की जीवन शैली में सुधार और उन्हें पूर्ण स्वस्थ बनाना

·        यहां के वासियों को स्वयं अपने सामने ऑरगेनिक फूड के कुछ अंश जैसे सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित करना है ताकि उन्हें बिल्कुल शुद्ध हानिरहित सब्जियां मिल सके। 
·        पाचन संबंधी हर तरह के विकारों के समाधान के लिए मिलावट रहित आहार के प्रथम चरण में सब्जियों और कुछ औषधियों को अपने सामने तैयार करना करवाना है।
·        इन वृक्षों, पौधों और वनस्पतियों को लगाने से उपभोक्ता आधारित संस्कृति वाली द्वारका सबसिटी, आदर्श आत्म निर्भर इकाई के रूप में विकसित होगी जहां लोग अपने और अपने परिजनों को स्वस्थ बनाने के साथ- साथ अन्य जीवों यथा पशु, पक्षियों, कीटों और अन्य सूक्ष्म प्राणियों को भी अभय देकर संरक्षित करेंगे।  

द्वारका सबसिटी में लगाए जाने वाले वृक्षों, वनस्पतियों का विवरण

1.     पांच फल वृक्षों, देशी आम, महुआ, इमली, आंवला और जामुन को लगाया जाएगा
2.     पांच औषधि वृक्षों, पीपल, बड़, गुलर, नीम, हर्रे और बहेड़ा को लगाया जाएगा 
इन दस प्रजाति के वृक्षों के अलावा अन्य देशी प्रजाति जैसे अमलतास, गुलमोहर, कदंब, टेसू, सागवान, बेल आदि के रोपण का भी प्रसार किया जाएगा। वृक्ष रोपण के साथ इनके फल, फूल, छाल और पत्तों के प्रयोग की जानकारी भी दी जाएगी ।

3       हर  सोसाइटी में अनिवार्य रूप से एक आंवला और उसके निकटवर्ती पार्कों में अन्य वृक्षों के रोपण के लिए जन चेतना जागृत की जाएगी
4       हर सोसाइटी को रूफ टॉप गार्डन कॉनसेप्ट ( Roof Top Garden Concept-- RTGC ) के लिए प्रेरित किया जाएगा।
5       हर सोसाइटी में उपलब्ध छतों की संख्या के अनुरूप एक तिहाई हिस्सा गमलों में लगने वाले औषधीय पौधों, एक तिहाई हिस्सा सब्जियों और एक तिहाई हिस्सा फूलों के लिए आरक्षित किया जाएगा।    
6       किचन गार्डन में एक ओर औषधीय महत्व की पांच वनस्पतियां 1.तुलसी, 2.एलोवेरा, 3. गिलोय ....4....5....                                
7..पांच मौसमी सब्जियां 1...2...3....4....5......और   
  
8..पांच मौसमी फूल 1...2...3....4.....5.....लगाए जाएंगे।
   
·        इन के रोपण से ना केवल हम मानवों को शुद्ध सब्जियां, फूल और औषधियां मिलेंगी बल्कि अन्य पशु , पक्षी और कीट प्रजाति के अन्य लाभदायक जीवों जैसे भंवरों और मधुमक्खियों का संरक्षण भी होगा जिनकी सहायता से हानिकारक कीटों जैसे मच्छरों के उन्मूलन के साथ शुद्ध शहद भी हर सोसाइटी में हम आवश्यकतानुसार तैयार कर सकेंगे।


 यह प्रथम प्रारूप आज 3 दिसंबर को प्रस्तुत किया जा रहा है। 

यदि हम महीने में केवल एक दिन ड्रीम द्वारका परियोजना के लिए निकाल सकें तो स्वयं को स्वस्थ बनाने के साथ अपने परिजनों का भी उपकार कर सकते हैं।

द्वारका को अपने सपनों के अनुसार बनाने के लिए आइए हम मिल कर प्रयास करें।

 




बुधवार, 25 नवंबर 2015

वर्ष 2015 कार्तिक पूर्णिमा 25 नवंबर पर ड्रीम द्वारका का घोषणा पत्र ( १)


२५ नवंबर २०१५, द्वारका , नई दिल्ली ११००७५

सनातन भारतीय परंपरा और विश्वास के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर काल क्रम में अनेक महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं । तीन घटनाएँ उल्लेखनीय हैं । पहला जगत पालक विष्णु का  मत्स्यावतार, जगत संहारक शिव द्वारा असुर त्रिपुर का वध और तीसरी घटना सिक्ख धर्म के आदिगुरु नानक देव जी का अवतरण दिवस। 

इन तीन घटनाओं के अलावा भी अनेक घटनाएँ महत्वपूर्ण रूप से इस तिथि से जुड़ी हुई हैं। 

लेकिन काल के फलक पर खचित होती हैं केवल अति महत्वपूर्ण घटनाएं और स्मृति रूप में रह जाती हैं अनेक परंपराएं जो चलन में तो बनी रहती हैं , हमारे आंखों के सामने घटित हो रही होती हैं लेकिन हम देखते हुए भी उनके महत्व को समझ नहीं पाते  । 

इन्हीं परंपराओं में से एक है नदियों , सरोवरों, सागरों में स्नान , विशेष रूप से सागरतटीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों द्वारा सागर जल में नौका छोड़े जाने का महत्व, प्रासंगिकता, उपयोगिता और इन्हें क्यों अभी तक ढो रहे हैं लोग,, 

 इसे ढूंढ निकालने की आवश्यकता के साथ 

देव दीपावली  का अति सीमित गिने चुने स्थानों पर अभी भी  चलन...

इन सभी पर अपने विचार रखने की आवश्यकता है। लेकिन अभी इन पंक्तियों को आपके साथ साझा करते समय अपराह्न के एक बजकर ३० मिनट हो रहे हैं और अभी से लगभग डेढ़ घंटे के बाद भोलेनाथ की नगरी काशी के लिए प्रस्थान करना है। इसलिए इस प्रसंग पर आगे आने वाले दिनों में चर्चा की जाएगी।

आज ड्रीम द्वारका परियोजना के घोषणा पत्र का प्रथम चरण जारी हो रहा है। 

२२ नवंबर के पोस्ट को दोबारा पढ़ते हुए हमने देखा है कि कुछ प्रूफ संबंधी त्रुटियां रह गयी हैं।  कुछ स्थानों पर शब्दों के कट पेस्ट में कमी के कारण , विचार भी, बहुत साफ नहीं रह पाए हैं । इन्हीं कमियों के साथ आज का पोस्ट भी जारी हो रहा है

इस विश्वास के साथ कि हमसे जुड़ने वाले लोग हमारी कमियों को माफ करेंगे , 

हमारे उद्देश्यों की नैतिकता को समझेंगे और हमारे प्रयासों में साथ होंगे।


१ ......जल प्रलय का उल्लेख दुनिया की अधिकांश सभ्यताओं में देश, काल और पात्र  के नाम में फेरबदल के साथ मौजूद है। यह स्मृति है उस महाप्रलय की जिसके बाद सीमित संख्या में मानव बचे थे। 


एक बार फिर  जल प्रलय जैसी स्थितियां बन रही हैं। कुछ समझदार लोग इस रोकने या अधिक से अधिक समय तक टालने के लिए प्रयास भी कर रहे हैं लेकिन उनका प्रयास नाकाफी है
 
इस दिशा में सघन प्रयास की जरूरत है। 

२......   समकाल में काल को देखने की क्षमता रखने वाले लोग अति सीमित हैं । इन लोगों की कोई दिलचस्पी वर्तमान संकटों को टालने पर है या नहीं,  यह समझना कठिन है। ऐसे में काल अपनी गति से चल रहा है और हम आप इसके अच्छे बुरे परिणामों को प्राप्त करने के लिए विवश हैं।

३........फिलहाल धरती के सभी जीवों में से केवल एक जाति,  मानव अपने आप को विकसित होता मान रहा है ।  भयानक गति से धरती पर मानव की संख्या बढ़ रही है ।  

अन्य जीवों,  जातियों का ह्रास हो रहा है। संख्या घट रही है। लोप हो रहा है। 

४..... धरती के लिए यह स्थिति पहली बार नहीं है। ऐसा पहले कई बार हो चुका है जब किसी एक जाति की संख्या इतनी अधिक बढ़ गयी कि अन्य जातियों के लिए संकट उत्पन्न हो  गया तो जगत के संचालन कर्ता ने उस जाति की उपयोगिता आवश्यकता और प्रासंगिकता देखते हुए उसके आकार , संख्या में कमी कर दी । 

५......एक समय जिनकी संख्या सबसे अधिक थी उनमें से कुछ जातियां पूरी तरह विलुप्त भी कर दी गईं । आज केवल उनकी अस्थियां , जीवाश्म के रूप में बची हैं । कुछ का जीवाश्म और कोई अन्य प्रमाण भी नहीं है।  

 यह अतीत यानि इतिहास है । 

भविष्य क्या होगा त्रिकालदर्शी ही कह सकते हैं। 

 मैं त्रिकालदर्शी नहीं हूं । 

६....त्रिकालदर्शी नहीं होते हुए भी काल देखने की जो क्षमता इस तन और मन की है उसका आकलन करते हुए ड्रीम द्वारका के प्रथम द्रष्टा के रूप में मैं यह संकल्प लेता हूं कि अपनी द्वारका नगरी में जीवों की संख्या और जाति विविधता के लिए प्राणपन से प्रयास करूंगा।  

७...भारत की राजधानी दिल्ली के दक्षिणी पश्चिमी में विकसित हो रही द्वारका सब सिटी इस संकल्प का प्रथम चरण है । 

८.....द्वारका सुनियोजित वासस्थल और शिक्षा स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। एक बड़े वास स्थल और शिक्षा स्थल की आवश्यकताओं के अनुकूल आवश्यकतानुसार वाणिज्यिक केन्द्र भी यहां विकसित हो रहे हैं। 

१०......इन सबके बीच तालमेल से सबसिटी द्वारका में मानव जाति सहित अन्य जीवों की विभिन्न जातियों और उपजातियों  के संरक्षण और विकास  का सफल प्रयोग हो सकता है। 

११......इस दिशा में मेरा तन और मन उपलब्ध संसाधनों के साथ पारिजात संचेतना मंडल के तत्वाधान में अन्य लोगों, संगठनों , संस्थानों को इस प्रयास में जोड़ेगा। 

१२......मत्स्यावतार अपने समय में धरती पर विराजमान जीवों को जल प्रलय से बचाने के लिए हुआ था ......

१३.......हम सभी उसी जगत पालक विष्णु के अंश हैं..........

१४ ....... ड्रीम द्वारका परियोजना हमारे समय  के प्रलय से बचाने में सहायक हो........

इस धरती पर उपलब्ध सभी जीव, सभी आस्था , परंपरा और विश्वास के लोग हमारे साथ मिल कर चलें। 

हम अपनी द्वारका को सबके वास योग्य बनाने में समर्थ हों.........

( ..........जारी.......)  

शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

ड्रीम द्वारका परियोजना का लोकार्पण

वर्ष 2015 में 20 नवंबर को आज  कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को  अक्षय नवमी  के अवसर पर पारिजात संचेतना मंडल ट्रस्ट की ओर से एक नई परियोजना की शुरुआत हो रही है।

ड्रीम द्वारका परियोजना क्या है

यह परियोजना ड्रीम द्वारका के नाम से जानी जाएगी।

इस परियोजना के लिए आज एक  ब्लाग लोकार्पित हो रहा है।  यह ब्लाग ड्रीम द्वारका के नाम से जाना जाएगा।

सनातन भारतीय परंपरा के अनुसार  द्वापर युग में भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका के नाम से प्रसिद्ध थी। वर्तमान में इसके अवशेष समुद्र में डूबे बताए जाते हैं।

समकाल में  भारत की राजधानी दिल्ली के दक्षिण पश्चिम हिस्से में द्वारक सब सिटी है। यह भारत के सबसे सुनियोजित उपनगर के रूप में प्रख्यात है।

द्वारका में साफ सुथरी चौड़ी सड़कें, निश्चित अनुपात में बंटे सेक्टर,  भव्य सोसाइटी फ्लैट्स और डीडीए के फ्लैट्स के चारों ओर बाग बगीचे और हरियाली है। रिहायशी ठिकाने और एजुकेशन के हब के रूप में यह सबसिटी विकसित हो रही है।

इस सबसिटी को हर किसी के सपने के अनुरूप बनाने के लिए ड्रीम द्वारका परियोजना अक्षय नवमी तिथि को शुरु की जा रही है।

पारिजात संचेतना मंडल ट्रस्ट की ओर से यह परियोजना इस उद्देश्य के साथ शुरु की जा रही है कि ड्रीम द्वारका के माध्यम से इससे जुड़ने वाले हर व्यक्ति का सपना साकार हो सके। 

 पारिजात है स्वर्ग लोक का दुर्लभ फूल

सनातन भारतीय परंपरा के अनुसार पारिजात एक फूल का नाम है। इसकी खुशबू अलौकिक मानी जाती है।


भगवान कृष्ण काल से संबंधित एक लोककथा के अनुसार एक बार देव मुनि नारद स्वर्ग लोक से कृष्ण से मिलने आए। उनके गले में पारिजात फूलों की माला थी। इस माला की सुंदरता और खुशबू दोनों से श्रीकृष्ण की रानियों के मन में यह इच्छा आयी कि ऐसा पौधा  उनके बगीचे में हो ताकि वे भी ऐसे फूल की माला पहन सकें और इसकी खुशबू का आनंद ले सकें।

उन्होंने अपनी इच्छा जतायी और नारदजी से कहा कि हमें भी यह पौधा चाहिए।

नारद जी मुस्कराए। वही मुस्कान जो हम आप उस समय मुस्कुराते हैं जब किसी का दिल जलाना होता है ।

........ ना भैया ना ये तेरे बस की बात नहीं.........

नारदजी ने कहा यह पारिजात पुष्प है। यह स्वर्गलोक के राजा इन्द्र के राजउद्यान में ही उगता है । मृत्यलोक की बात तो छोड़ो देवियों , यह फूल देव राज के अलावा किसी अन्य देवताओं के उद्यान में भी नहीं उगाया जा सकता। इसके उगाने पर पाबंदी है जिसे यह फूल चाहिए वह देवराज से याचना करता है और फूल ले जा सकता है अन्यथा जब देवराज किसी पर प्रसन्न होते हैं , उन्हें उपहार स्वरूप यह माला देते हैं ।

आपको माला चाहिए तो मेरी माला ले लो लेकिन इसके पौधे की कामना  मत करो। यह आपके उद्यान में नहीं आ सकता।
बेचारी रानियों का मन छोटा हो गया।

नारदजी तो किशन कन्हैया से मिल मिलाकर चले गए लेकिन जो आग उन्होंने रानियों के दिल में जला डाली उसकी अगन ने किशन कन्हैया को झुलसा डाला।

कौन पति होगा जो पत्नी के तानों से त्रस्त नहीं होता और कौन पति होगा जिसे अपनी रूठी हुई प्रिया का मुख देखान सुखद लगे। 

कृष्ण जी ने इन्द्र देव से कहा कि यह पारिजात पुष्प का पौधा हमें अपने उद्यान के लिए चाहिए। इन्द्रदेव ने कहा कि फूल तो मैं भिजवा सकता हूं लेकिन पौधा नहीं मिल सकता क्योंकि यह स्वर्ग लोक से मृत्यु भुवन नहीं जा सकता। जिस तरह देव लोक के देवता स्वर्ग से मृत्युलोक जा आ सकते हैं वैसे ही यहां का सामान भी भेजा जा सकता है लेकिन धरती पर स्थिर रूप से ना तो देव रह सकते हैं और ना ही देवलोक के पौधे।

आखिर कार इस मुद्दे पर देवलोक के राजा इन्द्र और श्रीकृष्ण के बीच लड़ाई हुई और इन्द्र पराजित हो गए और उन्हें यह पौधा मृत्युलोक भेजना पड़ा।

कहते हैं पारिजात का वृक्ष इस शर्त के साथ धरती पर आया कि मैं कृष्णजी के काल तक तो धरती पर रहूंगा और उसके बाद लुप्त हो जाउंगा क्योंकि मेरी भी अपनी मर्यादा है। 

कृष्णजी ने कहा युद्ध में पराजितों के शर्त नहीं स्वीकार किए जाते । तुम्हें धरती पर ही रहना होगा।

पारिजात फूल ने कहा आपकी बात ठीक है लेकिन पराजित इन्द्र हुए हैं मैं नहीं । मैं भी जीव हूं । ईश्वर का अंश हूं और अपने फैसले का अधिकार मेरे कर्मफल पर निर्भर है। यदि मैं अपने कर्मफल को लेकर सत्य में स्थिर हूं और  अपने प्राण विसर्जित कर दूं  तो क्या मुझे जबर्दस्ती आप रोक सकते हैं ।

कृष्ण के पास इसका उत्तर नहीं था। उन्होंने व्यवस्था दी सत्य में पूर्ण स्थिर किसी जीव के कर्मफल उसी पर निर्भर हैं इसलिए तुम्हारे अधिकार को कोई छीन नहीं सकता। 

पारिजात ने मुस्कराते हुए कहा प्रभु मैं आपकी शरण में हूं आपने इन्द्र के साथ मुझे भी प्राप्त कर लिया । आपके प्रस्थान के बाद मैं धरती से लुप्त हो जाउंगा । लेकिन जो आपके समान पराक्रमी होगा और मुझे प्राप्त करने के लिए यत्न करेगा तो मैं उसके उद्यान में आ जाउंगा।


इस तरह पारिजात का फूल आज भी धरती पर है ऐसा कहा जाता है। 

हम यह मानते हैं कि स्वर्ग लोक के राजा इन्द्र को पराजित करने का सामर्थ्य मृत्युलोक में जन्मे कृष्ण में था। वे जिस तरह पारिजात को अपने उद्यान में ले आए उसी तरह उसी कृष्ण के अंश स्वरूप हम और आप कोई भी जीव अपने इच्छित परिणाम को अपने परिश्रम से प्राप्त कर सकते हैं।

पारिजात संचेतना मंडल ट्रस्ट क्या है

पारिजात संचेतना मंडल ट्रस्ट लगभग पांच वर्ष पुरानी गैर लाभकारी संस्था है जो यह मानती है कि हम और आप मिल कर अपने परिवेश को और बेहतर बना सकते हैं।

हमारे पास जो उपलब्ध ज्ञान है उसे एक दूसरे के साथ बांटने का संकल्प लें तो जीवन में सफलता के उच्चतम शिखर तक सकते हैं। 

ड्रीम द्वारका परियोजना अक्षय नवमी के अवसर पर इसी संकल्प के साथ शुरु हो रही है कि हम अपने परिवेश और अपने जीवन को बेहतर बनाएंगे।

अपनी अपनी द्वारका नगरी को बेहतर बनाएंगे।

पहले चरण में यह परियोजना द्वारका सबसिटी में आज से शुरु हो रही है। अगले अक्षय नवमी पर हम अपने काम काज के मूल्यांकन के साथ द्वारका के बाहर विस्तार पर भी ध्यान केन्द्रित करेंगे।

आइए हम मिल कर चलें।