अरिपन फाउन्डेशन दरभंगा क प्रतिनिधि संजय बाबू विगत दिन फोन कएलनि । कहलनि जे अहांक संपर्क सूत्र फलना ठामसं भेटल अछि । हम सब कृत्रिम बुद्धि यानि एआई प्रयोग के ल,क, आइआइटी मद्रासक संग सहयोग कएलहुँ अछि । मैथिली भाषाक उपयोगके सार्वजनिन ओ सार्वकालिक बनेबाक लेल हम सब काज क, रहल छी। एहिमे अहांक सहयोग हमरा सबके चाही ।
एकटा ईमेल सेहो कएलनि आ विस्तृत जनतब दैत एहि अभियानसं जुड़बाक आग्रह कएलनि । योजना हमरा पसंद आयल । कारण तकनीकक स्तर पर मैथिली पछुआयल छथि । चौपाड़ि ओ दरबारी संस्कृति एखनो मैथिलीकें गछाड़ने छनि आ बाबानाम केवलम संग बन्धु बांधवी, जमाय ससुर गठबंधन हावी अछि । फलस्वरूप मैथिली पाछू मुंहे घुसकुनिया दैत मात्र एक दू जातिक भाषा बनि सिमटि गेल छथि ।
एआई उपयोग एक झटकामे मैथिलीक जमीन ओ अकासमे परिवर्तन आनि सकैत अछि । मिथिलाक सभ वर्ण ओ क्षेत्रकें एक सिनेहिया बन्हनमे बान्हि सकैत अछि । मुदा की अरिपन, एहिमे सक्षम होयत .....
हम मानैत छी, भ, सकैयै । जं अरिपन फाउन्डेशन इमानदारीसं प्रयास करय । ठीक-ठाक लोक,क संगौर करय । जे अवसर भेटि रहल छैक तकर भरपूर दोहन करय तं संभव अछि । की , कोना ......ताहि पर विचार राखब बादमे । एखन समयक दबाव अछि तँय मात्र संकेत रूपमे लिखलहुँ अछि।
एआई उपयोगसं कोना होयत मैथिली भाषाक विकास ओ लोक एकजुट होयताह ताहि पर विचार बादमे राखब।
हम हुनक टीम संग जुड़बाक स्वस्ति देलियनि अछि । औपचारिक आवश्यकता काल्हि देर राति पूर क, समाद द, देलियनि । आब देखी, कहियासं बनैत अछि संग काज करबाक सुयोग।
इति शुभम ।
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