रामजी की लीला अद्भुत है। इनकी लीला को समझना और संकेतों को पकड़ना बेहद कठिन है।
कलुपुरा झाझर क्षेत्र में अध्यापक पद पर कार्यरत रामभक्त श्री संजय शर्मा जी ने वाट्सएप के सुंदर कांड परिचर्चा समूह में दुख व्यक्त किया कि हमने सुंदरकांड पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया और इस समूह से किसी व्यक्ति ने कोई दिलचस्पी नहीं ली।
यह समूह पहले मानस अवलोकन संस्था के नाम से चल रहा था लेकिन सावन अमावस्या की तिथि को इसका नाम बदल कर सुंदरकांड परिचर्चा समूह कर दिया गया। क्यों ऐसा किया गया यह मैं नहीं जानता लेकिन क्षिति जल पावक गगन समीरा श्रृंख्ला के तहत मैं प्रातःकाल प्रतिदिन लगभग पंद्रह मिनट तक तन और मन को स्वस्थ रखने के उपायों पर अपने विचार AIG whatsapp group में 15 मई 2016 जानकी जयंती के अवसर से लगातार रखता आ रहा हूं। ये विचार 3-5 ऑडियो क्लिप्स के रूप में रखे जाते हैं।
अपनी चर्चा में जल तत्व पर बात करते हुए मैंने कहा था कि चंद्रमा की गति के साथ हमारे तन - मन के अंदर जल तत्व का प्रसार और संकोच होता है। जैसे पूर्णिमा की तिथि के आसपास सागर में ज्वार -भाटा का भौतिक प्रभाव देखने को मिलता है ठीक वैसे ही हमारे मन पर भी इसका असर पड़ता है।
सुनने पर ये तथ्य बड़े आश्चर्य की बात लग सकते हैं । मगर कोई चाहे तो इन पंक्तियों को कभी भी पढ़ रहे हों इन पंच तत्वों पर प्रयोग कर सकते हैं।
सावन अमावस्या 2016 की तिथि से दो तीन पहले वाट्स एप के एक दो ग्रुप नहीं बल्कि कई समूहों में आपसी नोकझोंक और विवाद अनुशासन की व्यवस्था लगभग एक ही तरीके से कही सुनी लिखी अभिव्यक्त की जा रही थीं। और निज अमावस्या की तिथि को मानस अवलोकन संस्था वाट्सएप समूह सुन्दरकांड परिचर्चा समूह में बदल गया। AIG में नाम के स्तर पर तो कोई परिवर्तन नहीं हुआ लेकिन इसके माडरेटर और कई सदस्यों का व्यवहार परिवर्तित हो गया।
चूंकि ये मेरे प्रयोग के विषय हैं इसलिए ना केवल मैं इन पर नजर रखता हूं बल्कि इनके परिणामों को अपने ऑडियो मैसेज में रखता भी हूं । मेरा लक्ष्य स्पष्ट है। मुस्कान मेल के रूप में यह सेवा लोकसेवा है और जिस किसी को इसकी आवश्यकता है वह इसका लाभ अपने तन मन की बनावट को जानकर उठा सकता है। अपनी समस्याओं का निदान मुस्कुराते हुए पा सकता है।
श्री संजय जी की ओऱ से पहले आयोजन को लेकर दुख व्यक्त किया गया और उसके बाद अपने गांव कलुपुरा में सावन शुक्ल सप्तमी तिथि तदनुसार 10 अगस्त 2016 को गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती पर एक दूसरे आयोजन की जानकारी नवनामित समूह में दी।
यह सूचना देखकर मेरे मन में कलुपुरा जाने की इच्छा हुई। क्यों हुई यह मैं नहीं जानता।
लेकिन यह मेरी आदत है जहां कहीं मेरी दृष्टि में लोक कल्याण का बड़ा काम हो रहा हो। जिसके आयोजन से जुड़े लोग शुभ संकल्प वाले दिखें तो वहां हानि लाभ की परवाह किए पहुंचना अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना और यथाशक्ति सहयोग देना बचपन से मेरी आदत है। अन्ना हजारे के दिल्ली आंदोलन के पहले दिन जंतर मंतर पर उनकी सभा में उपस्थित अंगुली पर गिने जा सकने वाले मुट्ठी भर लोगों में एक मैं भी था। जो लंबी अवधि तक साथ रहकर इस आंदोलन से अलग हुआ था।
इसीलिए श्री संजय जी के आयोजन को समझने की जिज्ञासा हुई। मन में इच्छा हुई।
इच्छा होने के साथ रामजी की लीला शुरु हुई। अगले दिन इसी समूह के श्री रामवीर सिंह जी ने मुझसे पूछा कि क्या मैं इस आयोजन में चलूंगा। मैं तुरंत तो स्वस्ति नहीं दे सका क्योंकि रोजगार के रूप में कबीर का वंशज होने के नाते रोज कुआं खोदना और पानी पीने की स्वतंत्र आजीविका अपना रखी है। ऐसे में दिल्ली से बाहर के किसी भी आयोजन में जाने से पहले उचित व्यवस्था करना मेरी आवश्यकताओं में शामिल है।
लेकिन सात अगस्त रविवार को जब अगले सोमवार से रविवार यानि आज सावन शुक्ल पक्ष एकादशी तक की व्यस्तताओं का क्रम निर्धारित हो गया तो मैंने कलुपुरा चलने की हां कर दी।
अब मेरे हामी भरने के साथ रामजी की लीला का अगला चरण शुरु हुआ।
योजना के अनुसार दस अगस्त बुधवार को मुझे नौएडा सेक्टर 18 पहुंचना था और वहां से आगे कलुपुरा मुझे श्री रामवीर सिंह जी ले चलते। चलने से ठीक एक दिन पहले मुझे श्री रामवीर सिंह जी का संदेश मिला कि क्या मैं कलुपुरा आयोजन के बाद एक और आयोजन में चल सकता हूं। यह आयोजन गोस्वामीजी की जन्मभूमि सोरोंजी के निकट सूकर क्षेत्र में होगा ।
मैंने बस इतना निवेदन किया कि देखिए बुधवार का दिन मैंने इस आयोजन के नाम दिया है यदि एक साथ हम दो आयोजन में भाग ले सकें तो कोई आपत्ति नहीं है बस हमें अगले दिन प्रातःकाल दस बजे तक वापस लौट आना होगा क्योंकि गुरुवार अपराह्न का समय मैं ने किसी और काम के लिए निर्धारित कर रखा है। उन्होंने कहा ऐसा ही होगा बस हम रात्रि विश्राम कर लेंगे और प्रातःकाल लौट चलेंगे।
दस अगस्त 2016 को मैं द्वारका सैक्टर दस नई दिल्ली से पहली मैट्रो के साथ नौएडा पहुंचा । वहां जाकर मुझे जानकारी मिली कि दो और व्यक्ति हमारे साथ चलेंगे । इन दो व्यक्तियों में से एक ने कहा कि वे कुछ विलंब से अन्य वाहन से चलेंगे और एक अन्य महापुरुष हमारे साथ चलने के लिए तैयार मिले।
यहां यह जानकारी देना मैं आवश्यक समझता हू्ं कि गोस्वामीजी की जयंती पर सावनशुक्ल सप्तमी तिथि 10 अगस्त 2016 को जो कुछ घटित हुआ इनमें से कोई भी घटना पूर्व निर्धारित नहीं थी। बस संयोग एक दूसरे से मिलते चले जा रहे थे और रामजी की लीला घटित हो रही थी।
सावन शुक्ल एकादशी तिथि को अब मैं दूसरा संकल्प ले रहा हूं । आने वाले दिनों में मैं वाट्सएप पर अपनी वायस मैसेज सेवा को इस ब्लाग के साथ जोड़ूंगा । जो भी ज्ञान तन - मन की आराधना कर मुझे अर्जित हुआ है वह बिना किसी शुल्क लिए आजीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित करूंगा।
जो भी व्यक्ति मेरे विचारों को सुन कर मार्गदर्शन के लिए आए उसकी सहायता मां जानकी की शक्ति से संपन्न हो। रामजी कृपा करें और पवन पुत्र मार्गदर्शन करें।
-----1045 रात्रि
यह चर्चा जारी रहेगी।
इसके कलुपुरा प्रसंग, आंवला प्रसंग और सैलई धाम प्रसंग अलग अलग पोस्ट के रूप में लिखे जाएंगे।
कलुपुरा झाझर क्षेत्र में अध्यापक पद पर कार्यरत रामभक्त श्री संजय शर्मा जी ने वाट्सएप के सुंदर कांड परिचर्चा समूह में दुख व्यक्त किया कि हमने सुंदरकांड पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया और इस समूह से किसी व्यक्ति ने कोई दिलचस्पी नहीं ली।
यह समूह पहले मानस अवलोकन संस्था के नाम से चल रहा था लेकिन सावन अमावस्या की तिथि को इसका नाम बदल कर सुंदरकांड परिचर्चा समूह कर दिया गया। क्यों ऐसा किया गया यह मैं नहीं जानता लेकिन क्षिति जल पावक गगन समीरा श्रृंख्ला के तहत मैं प्रातःकाल प्रतिदिन लगभग पंद्रह मिनट तक तन और मन को स्वस्थ रखने के उपायों पर अपने विचार AIG whatsapp group में 15 मई 2016 जानकी जयंती के अवसर से लगातार रखता आ रहा हूं। ये विचार 3-5 ऑडियो क्लिप्स के रूप में रखे जाते हैं।
अपनी चर्चा में जल तत्व पर बात करते हुए मैंने कहा था कि चंद्रमा की गति के साथ हमारे तन - मन के अंदर जल तत्व का प्रसार और संकोच होता है। जैसे पूर्णिमा की तिथि के आसपास सागर में ज्वार -भाटा का भौतिक प्रभाव देखने को मिलता है ठीक वैसे ही हमारे मन पर भी इसका असर पड़ता है।
सुनने पर ये तथ्य बड़े आश्चर्य की बात लग सकते हैं । मगर कोई चाहे तो इन पंक्तियों को कभी भी पढ़ रहे हों इन पंच तत्वों पर प्रयोग कर सकते हैं।
सावन अमावस्या 2016 की तिथि से दो तीन पहले वाट्स एप के एक दो ग्रुप नहीं बल्कि कई समूहों में आपसी नोकझोंक और विवाद अनुशासन की व्यवस्था लगभग एक ही तरीके से कही सुनी लिखी अभिव्यक्त की जा रही थीं। और निज अमावस्या की तिथि को मानस अवलोकन संस्था वाट्सएप समूह सुन्दरकांड परिचर्चा समूह में बदल गया। AIG में नाम के स्तर पर तो कोई परिवर्तन नहीं हुआ लेकिन इसके माडरेटर और कई सदस्यों का व्यवहार परिवर्तित हो गया।
चूंकि ये मेरे प्रयोग के विषय हैं इसलिए ना केवल मैं इन पर नजर रखता हूं बल्कि इनके परिणामों को अपने ऑडियो मैसेज में रखता भी हूं । मेरा लक्ष्य स्पष्ट है। मुस्कान मेल के रूप में यह सेवा लोकसेवा है और जिस किसी को इसकी आवश्यकता है वह इसका लाभ अपने तन मन की बनावट को जानकर उठा सकता है। अपनी समस्याओं का निदान मुस्कुराते हुए पा सकता है।
श्री संजय जी की ओऱ से पहले आयोजन को लेकर दुख व्यक्त किया गया और उसके बाद अपने गांव कलुपुरा में सावन शुक्ल सप्तमी तिथि तदनुसार 10 अगस्त 2016 को गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती पर एक दूसरे आयोजन की जानकारी नवनामित समूह में दी।
यह सूचना देखकर मेरे मन में कलुपुरा जाने की इच्छा हुई। क्यों हुई यह मैं नहीं जानता।
लेकिन यह मेरी आदत है जहां कहीं मेरी दृष्टि में लोक कल्याण का बड़ा काम हो रहा हो। जिसके आयोजन से जुड़े लोग शुभ संकल्प वाले दिखें तो वहां हानि लाभ की परवाह किए पहुंचना अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना और यथाशक्ति सहयोग देना बचपन से मेरी आदत है। अन्ना हजारे के दिल्ली आंदोलन के पहले दिन जंतर मंतर पर उनकी सभा में उपस्थित अंगुली पर गिने जा सकने वाले मुट्ठी भर लोगों में एक मैं भी था। जो लंबी अवधि तक साथ रहकर इस आंदोलन से अलग हुआ था।
इसीलिए श्री संजय जी के आयोजन को समझने की जिज्ञासा हुई। मन में इच्छा हुई।
इच्छा होने के साथ रामजी की लीला शुरु हुई। अगले दिन इसी समूह के श्री रामवीर सिंह जी ने मुझसे पूछा कि क्या मैं इस आयोजन में चलूंगा। मैं तुरंत तो स्वस्ति नहीं दे सका क्योंकि रोजगार के रूप में कबीर का वंशज होने के नाते रोज कुआं खोदना और पानी पीने की स्वतंत्र आजीविका अपना रखी है। ऐसे में दिल्ली से बाहर के किसी भी आयोजन में जाने से पहले उचित व्यवस्था करना मेरी आवश्यकताओं में शामिल है।
लेकिन सात अगस्त रविवार को जब अगले सोमवार से रविवार यानि आज सावन शुक्ल पक्ष एकादशी तक की व्यस्तताओं का क्रम निर्धारित हो गया तो मैंने कलुपुरा चलने की हां कर दी।
अब मेरे हामी भरने के साथ रामजी की लीला का अगला चरण शुरु हुआ।
योजना के अनुसार दस अगस्त बुधवार को मुझे नौएडा सेक्टर 18 पहुंचना था और वहां से आगे कलुपुरा मुझे श्री रामवीर सिंह जी ले चलते। चलने से ठीक एक दिन पहले मुझे श्री रामवीर सिंह जी का संदेश मिला कि क्या मैं कलुपुरा आयोजन के बाद एक और आयोजन में चल सकता हूं। यह आयोजन गोस्वामीजी की जन्मभूमि सोरोंजी के निकट सूकर क्षेत्र में होगा ।
मैंने बस इतना निवेदन किया कि देखिए बुधवार का दिन मैंने इस आयोजन के नाम दिया है यदि एक साथ हम दो आयोजन में भाग ले सकें तो कोई आपत्ति नहीं है बस हमें अगले दिन प्रातःकाल दस बजे तक वापस लौट आना होगा क्योंकि गुरुवार अपराह्न का समय मैं ने किसी और काम के लिए निर्धारित कर रखा है। उन्होंने कहा ऐसा ही होगा बस हम रात्रि विश्राम कर लेंगे और प्रातःकाल लौट चलेंगे।
दस अगस्त 2016 को मैं द्वारका सैक्टर दस नई दिल्ली से पहली मैट्रो के साथ नौएडा पहुंचा । वहां जाकर मुझे जानकारी मिली कि दो और व्यक्ति हमारे साथ चलेंगे । इन दो व्यक्तियों में से एक ने कहा कि वे कुछ विलंब से अन्य वाहन से चलेंगे और एक अन्य महापुरुष हमारे साथ चलने के लिए तैयार मिले।
यहां यह जानकारी देना मैं आवश्यक समझता हू्ं कि गोस्वामीजी की जयंती पर सावनशुक्ल सप्तमी तिथि 10 अगस्त 2016 को जो कुछ घटित हुआ इनमें से कोई भी घटना पूर्व निर्धारित नहीं थी। बस संयोग एक दूसरे से मिलते चले जा रहे थे और रामजी की लीला घटित हो रही थी।
सावन शुक्ल एकादशी तिथि को अब मैं दूसरा संकल्प ले रहा हूं । आने वाले दिनों में मैं वाट्सएप पर अपनी वायस मैसेज सेवा को इस ब्लाग के साथ जोड़ूंगा । जो भी ज्ञान तन - मन की आराधना कर मुझे अर्जित हुआ है वह बिना किसी शुल्क लिए आजीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित करूंगा।
जो भी व्यक्ति मेरे विचारों को सुन कर मार्गदर्शन के लिए आए उसकी सहायता मां जानकी की शक्ति से संपन्न हो। रामजी कृपा करें और पवन पुत्र मार्गदर्शन करें।
-----1045 रात्रि
यह चर्चा जारी रहेगी।
इसके कलुपुरा प्रसंग, आंवला प्रसंग और सैलई धाम प्रसंग अलग अलग पोस्ट के रूप में लिखे जाएंगे।
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