पहले मुस्कुराइए फिर नज़रें आगे दौड़ाइए।
ये नहीं चलेगा कि आप अपनी मोहिनी सूरत को रोनी बनाकर मुस्कान मेल देखने चले आइये।बिल्कुल नहीं चलेगा।
आपको पता हो या नहीं मैं जानता हूँ कि आप और केवल आप दुनिया में सबसे सुंदर हैं।
अपने नाजुक सुंदर होठों पर मुस्कान लाइए ना
ये देखिए
आ गयी
पतली सी मुस्कुराहट....................
बिल्कुल छुरी वाली मुस्कुराहट
देखिए, सर्जिकल ब्लेड वाली आपकी इस मुस्कान से किसी की मौत हो सकती है ।
इसलिए ये वाली नहीं
चीज़ वाली मुस्कान लाइए.....................
ये हुई ना बात।
जब चीज़ वाली चौड़ी मुस्कान
चेहरे पर आती है ना........
तो
होंठ, पतले हों या मोटे,
गोरे हों या काले,
लिपस्टिक लगे हों या चिपस्टिक,
आप बहुत खूबसूरत दिखते हैं.........
सच्ची.......
बिल्कुल सच्ची.......
क्या कहा ? .......
चलिए , मेरा भरोसा मत कीजिए। आइने में अभी देख लीजिए।
वैसे यदि आइना नहीं हो तो कोई बात नहीं, जो कोई नजदीक है,
उसकी आंखों में झांक कर अपने प्यारे से चेहरे को देखिए।
अब हुआ भरोसा।
है ना दुनिया का सबसे खूबसूरत चेहरा आपका।
कोई पास नहीं है ? कोई बात नहीं
मैं हूं ना
अपने इस लेख के माध्यम से.........
अपनी आवाज के माध्यम से........................
मैं यह घोषित करता हूं कि
आप दुनिया में सबसे ज्यादा खूबरसूरत हैं ।
देखिए जिस दिन अपने मन में यह विश्वास आ जाता है कि हम दुनिया में
सबसे सुन्दर हैं, सबसे योग्य हैं और हम अपनी ज़िन्दगी अपने फैसलों के
अनुसार चलाएंगे उस दिन से हमारे अन्दर एक बुनियादी बदलाव आना शुरु हो जाता है।
जिस दिन हम अपनी खुशी के लिए दूसरों के दिए सर्टिफिकेट की
परवाह किए बिना अपने फैसले पर यकीन करने लगते हैं उस पल से
हमारे तन और मन में आनन्द का एक नया दरवाजा खुलना शुरु होता है।
लेकिन यह दरवाज़ा है कहां ...
कैसे खुले यह दरवाज़ा.........
ये सच है कि इस दरवाजे को ढूंढना और खोलना आसान नहीं है।
लेकिन ये भी सच है कि यह दरवाज़ा कहीं बाहर नहीं है
इसे ढूंढने के लिए
पाने के लिए
खोलने के लिए
हमें ही कोशिश करनी पड़ती है। हमारे अलावा कोई दूसरा हमारे बदले यह प्रयास नहीं
कर सकता।
हां सहायता जरूर कर सकता है।
और यह सहायता पहुँचायी जाती है हर किसी को।
कोई ना कोई होता है
या होती है जो
उस समय अनायास मदद के लिए आ जाए जब आपको कोई उम्मीद कहीं से नहीं दिख
रही हो।
आप ये कोशिश कर सकें..
इसीलिए तो मुस्कान मेल आपके पास रोज पहुंच रहा है
कि
आप अपने को जानिए
अपने तन मन की बनावट को जानिए।
अपना दरवाज़ा ढूंढ निकालिए और अपनी चाहत को पूरी कर डालिए।
कोशिश शुरु तो कीजिए।
कोशिश के शुरु करने के लिए ज़िन्दगी में इस पल से बेहतर और कोई पल नहीं होता।
बस अभी से शुरु हो जाइए।
लेकिन पहले मुस्कुराइए क्योंकि ये रास्ता मुस्कान हाइवे पर आगे बढ़ता है।
क्षिति जल पावक गगन समीरा पंच तत्व यह अधम शरीरा के माध्यम से मुस्कान मेल
यही तो कर रहा है।
जानकी जयंती यानि 15 अप्रैल 2016 से शुरु होकर लगभग सौ दिनों से लगातार
प्रातःकाल वाट्सएप पर आवाज़ के माध्यम से
आप तक पहुंचना और आपको भरोसा दिलाना, आपसे मुस्कराने की अपील करना
और क्या है
बस यही भरोसा दिलाना ना कि आप दुनिया में सबसे सुंदर हैं। आप कोशिश कर सकते हैं
आप स्त्री हों या पुरुष
युवा या बुजुर्ग
मेरे लिए आप इस धरती पर सबसे खूबसूरत जीव हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मैं आप से
प्यार करता हूं
और आप मुझसे।
क्यों भरोसा नहीं हुआ .............
देखिए आप मेरी आवाज सुनते हैं ना। अभी इस पल आपकी बेपनाह सुंदर आंखे इन
शब्दों को पढ़ रही हैं ना.....
क्यों भला.......
यही प्यार है। यही स्नेह है। यही चाहत है । यही एक दूसरे के लिए सम्मान है।
और यह प्यार,
यह स्नेह
यह एक दूसरे के लिए चाहत
कुछ पाने के लिए नहीं हैं।
बस देना है।
और देना भी क्या
एक मुस्कुराहट
बस इतनी सी बात।
हम ऐसी जानकारियां एक दूसरे को दें जिससे हमारा तन और मन दोनों स्वस्थ रहे,
प्रसन्न रहे।
तन स्वस्थ रहेगा तो मन प्रसन्न रहेगा। तन स्वस्थ और मन प्रसन्न रहेगा तो
मुस्कुराएगा ही।
मुस्कान मेल का जन्म मुस्कान बांटने के लिए हुआ है। एक दूसरे से बिना किसी अपेक्षा
के स्नेह देने के लिए हुआ है।
जब हम बिना किसी अपेक्षा के अपने पास उपलब्ध कोई भी जानकारी या सामान दूसरे
को ईमानदारी के साथ बांटते है ना
देते हैं ना
तो
इस बांटने से
देने से
लेने वाले को भी लाभ होता है
और
देने वाले को भी लाभ होता है।
यही लोक कल्याण है।
यही शिव संकल्प है।
यही सत्यम शिवम सुन्दरम है।
ये मत सोचिए कि जो दे रहा है
उसे लाभ नहीं होता है। देने वाले को भी बहुत लाभ होता है।
क्या लाभ होता है जिस पल देना शुरु कीजिएगा उस पल से समझना शुरु होगा।
बस ये याद रखिए कि ऐसी वस्तु , ऐसा धन या ऐसा ज्ञान दूसरे को मत दीजिए
जो आपका अपना नहीं है।
मन , कर्म और वचन से जो कुछ आपका अपना है, वही आप दूसरे को दे सकते हैं। जो
किसी दूसरे का है वो आप नहीं दे सकते।
अपना कमाया हुआ धन
अपने तन और मन पर किये प्रयोग का परिणाम
ही आप दूसरों को दे सकते हैं।
फारवर्डेड मैसेज या किताबों में पढ़ी बातें यदि आपके अपने जीवन में शामिल नहीं हैं तो
आपकी कही बातों का कोई असर नहीं होगा।
कुछ पल या कुछ दिनों तक ऐसा हुआ भी तो इसका लाभकारी परिणाम टिकेगा नहीं।
इसका नुकसान आज नहीं तो कल आपको ही भुगतना पड़ेगा।
स्माइल मेल के माध्यम से यही संकल्प लिया गया है कि जो भी जानकारी मुझे अपने
स्वाध्याय से, तप से और लगातार दशकों के अभ्यास और प्रयोग से मिली है उसे बिना
किसी अपेक्षा के दूसरों के साथ शेयर करूंगा।
बाटूंगा।
भारत वर्ष में युग-युग से ऐसा होता आया है। अभी भी मुस्कान मेल यही कर रहा है।
मुसकान मेल के माध्यम से जो भी जानकारी बांटी जाती है वह पूरी जिम्मेदारी के साथ
बांटी जाती है। हर रोज सुबह आप जो कुछ सुनते हैं वह मेरा अपना सत्य होता है।
मैं आपको कोई गलत जानकारी , असत्य जानकारी जानबूझ कर नहीं दे सकता।
जब आप मेरे संपर्क में होते हैं तो आपको किस रूप में अगला कदम उठाना है , उसका
क्या लाभ हो सकता है, नुकसान हो सकता है, यह बिल्कुल साफ साफ बताता हूं। ऐसा
इसलिए कि जो मेरा अनुभव है वह आपका भी अनुभव हो सकता है।
देखिए मेरे तन - मन पर जो घटित हुआ है उससे मिलता जुलता आपका भी अनुभव हो
सकता है।
एक मानव और दूसरे मानव की बनावट में बहुत ज्यादा का अंतर नहीं होता। कुछ-कुछ
थोड़ा सा मिलता जुलता होता है और कुछ-कुछ थोड़ा सा अलग होता है। लेकिन हर
मानव कुल मिलाकर मानव ही तो होता है ना।
ऐसा ही है ना .....
हम मानव मिल कर संकल्प लें कि परस्पर एक दूसरे के अनुभवों का लाभ बिना किसी
उम्मीद के शेयर करेंगे। एक दूसरे को सहायता करेंगे।
मुस्कान मेल का यही पैगाम है।
इसी बात पर हो जाए एक मुसकान...
मुस्कुराइए ना
दुनिया में सबसे सुन्दर मुस्कान नहीं मुस्कुराए ऐसा हो नहीं सकता।
टेक केयर बाई
सुंदर
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